समकालीन विश्व में सुरक्षा

समकालीन विश्व में सुरक्षा: इस आर्टिकल में आप कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की पाठ 7 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर पढ़ेंगे। ये सभी प्रश्न उत्तर 12 वी कक्षा की वार्षिक परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। 

समकालीन विश्व में सुरक्षा लघु उत्तरीय प्रश्न 

Q.1. सुरक्षा की पारंपरिक धारणा स्पष्ट कीजिए। 
Ans: सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे अधिक खतरनायक माना गया है। इस खतरे का स्रोत कोई अन्य मुल्क होता है जो सैन्य आक्रमण की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्य के लिए खतरा उत्पन्न करता है। 

Q.2. विश्व सुरक्षा की धारणा कैसे उत्पन्न हुआ?
Ans: विश्वव्यापी खतरे जैसे वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming) अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स और बर्ड फ्लू जैसी महामारियों के मद्देनजर 1990 के दशक में विश्व सुरक्षा की धारणा उत्पन्न हुई। कोई भी देश इन समस्याओ का समाधान अकेले नहीं कर सकता। 

Q.3. सुरक्षा के पारंपरिक तरीके कौन- कौन से है?
Ans: सुरक्षा के पारंपरिक तरीके निम्न है:-

  1. किसी देश को यह सुनिश्चित करना चाहिए की वह युद्ध केवल अपनी आत्मरक्षा, उचित कारण या दूसरों को जनसंहार से बचाने के लिए करे। 
  2. आक्रामक सेना को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपने निहत्थे शत्रु अथवा आत्मसमर्पण करने वाले शत्रु पर आक्रमण न करे। 
  3. सेना को एक सीमा तक ही हिंसा का सहारा लेने चाहिए। 
  4. बल का प्रयोग तभी करना चाहिए जब अन्य सभी उपाय असफल हो जाए। 

Q.4. निशस्त्रीकरण क्यों आवश्यक है?
Ans: निशस्त्रीकरण के आवश्यक होने के कारण:- 

  1. अणु व परमाणु बमों जैसे भयानक अस्त्र शस्त्रों के बनने व प्रतिदिन उनमें वृद्धि होने से विश्व शांति खतरे में पड़ गई है। विश्व में इतने सारे शस्त्र बन गए है की तृतीय विश्व युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है। विश्व के अधिकतर विद्वानों का मत है कि यदि घातक हथियारों को बनाने व जमा करने पर प्रतिबंध न लगाया जाए तो मानव सभ्यता का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। 
  2. घातक हथियारों का निर्माण करना जितना खतरनाक है उतना ही महँगा भी। नए-नए अस्त्र-शस्त्र  में अरबों रुपए खर्च किए जा रहे है। निशस्त्रीकरण करके शस्त्रों के निर्माण में व्यर्थ के रुपए बर्बाद करने से बच सकते है। 

 समकालीन विश्व में सुरक्षा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

Q.5. 10 दिसंबर को सम्पूर्ण विश्व में मानव अधिकार दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है?
Ans: 10 दिसंबर को सम्पूर्ण विश्व में मानव अधिकार दिवस के रूप में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 10 दिसंबर, 1948 ई. में "मानव अधिकारों की घोषणा पत्र" को स्वीकृति मिली थी। इस घोषणा पत्र के अनुसार UNO के सभी सदस्य राष्ट्रों की सरकारों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने नागरिकों की अधिकारों की आदर करेंगे। मानव अधिकार वे है जो सभी मानवों को मनुष्य होने के नाते मिलने चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक व सामाजिक परिषद् द्वारा 1946 ई. में मानव अधिकारों की समस्या के बारे में एक आयोग की नियुक्ति की गई। इस आयोग ने 1948 में अपनी रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा को प्रदान की और संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने 10 दिसंबर, 1948 को मानव अधिकारों घोषणा पत्र को स्वीकृति दे दी। इस रिपोर्ट में 20 मानव अधिकारों की एक सूची का वर्णन किया गया था। 
अतः प्रति वर्ष 10 दिसंबर, 1948 को मानव अधिकारों की घोषणा पत्र की स्वीकृति दिवस की याद में मानव अधिकार दिवस मनाया जाता है। इसके जरिए सरकार को यह याद दिलाया जाता है कि वे अपने नागरिकों को उन्नति व विकास के लिए मानव अधिकारो की रक्षा करे। 

Q.6. परंपरागत सुरक्षा नीति के तत्वों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। 
Ans: परंपरागत सुरक्षा नीति के 4 तत्व :- 

  1. आत्मसमर्पण: परंपरागत सुरक्षा की नीति का प्रथम तत्व आत्मसमर्पण है। इस तत्व का अर्थ है विरोधी पक्ष से बिना युद्ध किए आत्मसमर्पण करना या उसे युद्ध के परिमाण से इतना डराना कि वह खुद ही आत्मसमर्पण कर दे। 
  2. शक्ति संतुलन:  परंपरागत सुरक्षा की नीति का प्रथम तत्व शक्ति संतुलन है। शक्ति संतुलन से तात्पर्य किसी देश को अपनी शक्ति विरोधी ताकतवर देश के बराबर या शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में करने से है। 
  3. सैन्य शक्ति में वृद्धि: सैन्य शक्ति में वृद्धि परंपरागत सुरक्षा की नीति का तीसरा तत्व है। इसका आधार आर्थिक और प्रोद्योगिक ताकत है। 
  4. गठबंधन निर्माण: परंपरागत सुरक्षा नीति का चौथा तत्व गठबंधन करना है। विश्व में कई सारे ऐसे देश होते है जो सैन्य हमले को रोकने से लिए एक साथ कदम उठाते है। 

Q.7. नवस्वतंत्र देशों की सुरक्षा के क्या खतरे है?
Ans: नवस्वतंत्र देशों की सुरक्षा के निम्नलिखित खतरे है:

  1. नवस्वतंत्र देशों को बढ़ते शीतयुद्ध से डर था क्योंकि कुछ नवस्वतंत्र देश शीतकालीन गुटों में किसी न किसी गुट के सदस्य बन चुके थे। 
  2. किसी एक गुट में जाने का मतलब दूसरे गट से शत्रुता करना था। 
  3. नवस्वतंत्र देशों को उसके यूरोपीय औपनिवेशिक शासकों के आक्रमण का भय था। ऐसे में इन देशों को एक साम्राज्यवादी युद्ध से अपनी रक्षा के लिए तैयारी करनी पड़ी। 
  4. नवस्वतंत्र देशों में आंतरिक सैन्य संघर्ष भी चल रहा था। साथ ही साथ अलगाववादी आंदोलन तेज हो रहे था। 

Q.8. किसी देश के लिए आंतरिक सुरक्षा क्यों जरूरी है?
Ans: किसी देश के लिए आंतरिक सुरक्षा जरूरी होने के कारण:

  1. प्रत्येक देश के लिए आंतरिक शांति होना आवश्यक है क्योंकि जब देश में आंतरिक शांति होगी तभी बाहरी आक्रमण का सामना अच्छे से किया जा सकता है लेकिन आंतरिक शांति तभी होगी जब आंतरिक सुरक्षा होगी। 
  2. द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इसका कारण यह था कि ताकतवर देशों में आंतरिक शासन स्थापित था। 
  3. 1945 के पश्चात संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ अपनी सीमा के अंदर एकीकृत और शांति सम्पन्न है। 
  4. अधिकांश यूरोपीय देशों विशेष रूप से पश्चिमी देशों के सामने अपनी सीमा के भीतर बसे समुदायों अथवा वर्गों से कोई गंभीर खतरा नहीं था। इसलिए इन देशों ने सीमा के पार के खतरों पर ध्यान नहीं दिया। 
  5. कुछ यूरोपीय देशों को अपने उपनिवेशों से से जनता से हिंसा का भय था क्योंकि अब ये लोग आजादी चाहते थे।