हड़प्पा सभ्यता: हड़प्पा सभ्यता का काल 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक माना जाता है। हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता तथा सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। इस सभ्यता का नामकरण हड़प्पा नामक स्थान, जहां यह संस्कृति पहली बार खोजी गई थी, के नाम पर किया गया है। सिंधु नदी के तट पर इस सभ्यता के अधिकतर क्षेत्र पाए गए हैं जिस कारण इसे सिंधु घाटी सभ्यता का जाता है।
महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य:-
- हड़प्पा सभ्यता का काल 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व माना जाता है।
- हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है।
- इस सभ्यता का नामकरण हड़प्पा नामक स्थान, जहां यह संस्कृति पहली बार खोजी गई थी, के नाम पर किया गया है। सिंधु नदी के तट पर इस सभ्यता के अधिकतर क्षेत्र पाए गए हैं, जिस कारण से सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाता है।
- हड़प्पा सभ्यता से पहले और बाद में भी इस क्षेत्र में संस्कृतयां अस्तित्व में थे जिन्हें क्रमशः आरंभिक तथा परवर्ती हड़प्पा कहा जाता है।
- हड़प्पाई मुहर सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु है, जिसे सेलखड़ी नामक पत्थर से बनाई जाती थी, जिन पर जानवरों के चित्र तथा एक ऐसी लिपि के चिन्ह उत्कीर्णित हैं जिन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
- हड़प्पा सभ्यता की जानकारी के स्रोत हड़प्पाई पुरावस्तुएं जैसे- आवास, मृदभांड, आभूषण, औजार, मुहर आदि है।
- हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त अनाज के दाने- गेहूं, जौ, दाल, सफेद चना, तिल, बाजरा तथा चावल आदि।
- हड़प्पा स्थलो से मिली जानवरों की हड्डियों में मवेशी, भेड़, बकरी, भैंस, तथा सूअर की हड्डियां शामिल है। मछली के अवशेष भी मिले हैं। जंगली प्रजातियों जैसे- वराह, हिरण तथा घड़ियाल के हड्डियों के भी अवशेष मिले है।
- बनावली (वर्तमान में हरियाणा) से मिट्टी से बने हल के प्रतिरूप मिले हैं।
- कालीबंगा (वर्तमान में राजस्थान) नामक स्थान पर जूते हुए खेत का साक्ष्य मिला है।
- धोलावीरा (वर्तमान में गुजरात) से जलाशयों के अवशेष मिले हैं, संभवत इनका प्रयोग कृषि के लिए जल संचयन हेतु किया जाता था।
- बस्ती दो भागों में विभाजित थी, एक छोटा लेकिन ऊंचाई पर बनाया गया और दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया।
- सड़कों और गलियों को एक ग्रीड पद्धति पर बनाया गया था और यह एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
- अनुमान लगाया गया है कि मोहनजोदड़ो में कुआं की कुल संख्या 700 थी।
- चन्हूदडो, पूरी तरह से शिल्प कार्यों जैसे- मनके बनाना, शंख की कटाई, धातुकर्म, मुहर निर्माण तथा बाट बनाना, में संलग्न थी।
हड़प्पा सभ्यता: 1 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर:-
Q.1. हड़प्पा की खोज कब हुई?
Ans: 1921
Ans: 1921
Q.2. हड़प्पा नगर की खोज किसने की?
Ans: राम बहादुर दयारम साहनी
Ans: राम बहादुर दयारम साहनी
Q.3. मोहनजोदड़ों की खोज किसने की?
Ans: रखलदास बनर्जी
Ans: रखलदास बनर्जी
Q.4. मोहनजोदड़ों की खोज कब हुई?
Ans: 1922
Ans: 1922
Q.5. सिंधु घाटी सभ्यता से हल के साक्ष्य कहा से प्राप्त हुए?
Ans: कालीबंगा
Ans: कालीबंगा
Q.6. हड़प्पा का प्रसिद्ध स्थल 'कालीबंगा' वर्तमान भारत में कहाँ स्थित है?
Ans: राजस्थान
Ans: राजस्थान
Q.7. किस हड़प्पाई स्थल से मातृदेवी की मूर्तियाँ तथा सींगदार देवता के रूपांकन प्राप्त हुए है?
Ans: कोटदीजी तथा कालीबंगा से
Ans: कोटदीजी तथा कालीबंगा से
Q.8. सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी नगर कौन-सी थी?
Ans: मोहनजोदड़ों
Ans: मोहनजोदड़ों
Q.9. हड़प्पा वासियों द्वारा कृष्ट फसले थी?
Ans: गेहूँ, यव तथा सरसों
Ans: गेहूँ, यव तथा सरसों
Q.10. भारतीय पुरातत्व का जनक किसे माना जाता है?
Ans: जलरल अलेक्जेंडर कनिघंम
Ans: जलरल अलेक्जेंडर कनिघंम
Q.11. किस हड़प्पा कालीन नगर से नहर के अवशेष मिले है?
Ans: शोर्तुघर्ई ( अफगानिस्तान)
Ans: शोर्तुघर्ई ( अफगानिस्तान)
Q.12. सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे पहली खोजी गई नगर थी?
Ans: हड़प्पा
Ans: हड़प्पा
Q.13. हड़प्पा सभ्यता का शिल्प उत्पादन केंद्र क्या था?
Ans: चन्हूदडो
Ans: चन्हूदडो
Q.14. हड़प्पा सभ्यता किस युग की सभ्यता थी?
Ans: कांस्ययुगीन
Ans: कांस्ययुगीन
Q.15. हड़प्पा सभ्यता का अंत कब हुआ?
Ans: संभवतः 1900 ईशा पूर्व
Ans: संभवतः 1900 ईशा पूर्व
हड़प्पा सभ्यता: अति लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर:-
Q.1. पुरातत्व वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए हड़प्पा के कोई चार नगरों के नाम लिखें।
Ans: पुरातत्व वैज्ञानिकों द्वारा हड़प्पा के बहुत सारे नगरों की खोज की जा चुकी है जीनमें से चार नगर निम्नलिखित है- हड़प्पा, मोहनजोदड़ों, लोथल, चनहुदड़ों।
Ans: पुरातत्व वैज्ञानिकों द्वारा हड़प्पा के बहुत सारे नगरों की खोज की जा चुकी है जीनमें से चार नगर निम्नलिखित है- हड़प्पा, मोहनजोदड़ों, लोथल, चनहुदड़ों।
Q.2. हड़प्पा सभ्यता की दो विशेषताएं लिखे।
Ans: हड़प्पा सभ्यता की दो विशेषताएं:
Ans: हड़प्पा सभ्यता की दो विशेषताएं:
- यह सभ्यता एक शहरी तथा भारत की प्राचीनतम विकसित सभ्यता थी।
- इस सभ्यता के निवासियों का विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंध था।
Q.3. सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहा जाता है?
Ans: सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस सभ्यता से सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थल की खोज हुई थी। इसकी खोज 1921 में दयाराम साहनी ने किया था।
Ans: सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस सभ्यता से सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थल की खोज हुई थी। इसकी खोज 1921 में दयाराम साहनी ने किया था।
Q.4. हड़प्पा संस्कृति का विस्तार बताएं।
Ans: हड़प्पा सभ्यता का विस्तार उत्तर में जम्मू के अखनुर से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक तथा पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर-पूर्व में मेरठ तक था। यह सभ्यता त्रिभुजाकार में फैला हुआ था जिसका कुल क्षेत्रफल 1,299,600 वर्ग किमी है।
Ans: हड़प्पा सभ्यता का विस्तार उत्तर में जम्मू के अखनुर से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक तथा पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर-पूर्व में मेरठ तक था। यह सभ्यता त्रिभुजाकार में फैला हुआ था जिसका कुल क्षेत्रफल 1,299,600 वर्ग किमी है।
Q.5. हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त जानवरों के अवशेषों के नाम लिखें।
Ans: . हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त जानवरों के अवशेषों-
Ans: . हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त जानवरों के अवशेषों-
पालतू जानवर: भेड़, बकरी, भैंस, तथा सूअर आदि।
जंगली जानवर: हिरण, घड़ियाल, सूअर आदि।
मछली तथा पक्षियों के भी अवशेष मिले है।
जंगली जानवर: हिरण, घड़ियाल, सूअर आदि।
मछली तथा पक्षियों के भी अवशेष मिले है।
Q.6. हड़प्पा सभ्यता को कांस्ययुगिन सभ्यया क्यों कहा जाता है?
Ans: हड़प्पा सभ्यता को कांस्ययुगिन सभ्यया इसलिए कहा जाता है क्योंकि हड़प्पवासी काँसा के प्रयोग से परिचित थे। उन्हे तांबे तथा टीन को मिलाकर काँसा बनाने बनाने की कला भलीभाँति आती थी। अपनी इसी कला के कारण उन्होंने एक विकसित सभ्यता का निर्माण किया था।
Q.7. हड़प्पाई लिपि की दो विशेषताएं लिखें।
Ans: हड़प्पाई लिपि की दो विशेषताएं:
- वैसे तो हड़प्पाई लिपि आजतक पढ़ी नहीं जा सकी है परंतु निश्चित रूप से यह वर्णमालिय नहीं है क्योंकि वर्णमालिय के प्रत्येक चिन्ह एक स्वर अथवा व्यंजन को दर्शाता है।
- हड़प्पाई लिपि दाई से बाई ओर लिखी जाती थी क्योंकि दाई ओर चौड़ा अंतराल है जबकि बाई और यह संकुचित पाई गई है।
Q.8. हड़प्पा स्थल की दुर्दशा के क्या कारण है?
Ans: हड़प्पा स्थल की कई संरचनाएं नष्ट हो गई है। वस्तुतः इसे ईंट चुरनेवालों ने बुरी तरह से नष्ट कर दिया है। 1875 में ही भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के पहले जलरल डायरेक्टर अलेक्जेंडर कनिघंम ने लिखा था कि प्राचीन स्थल से ले जाई गई ईंटों की मात्रा लगभग 100 मिल लंबी लाहौर तथा मुल्तान के बीच की रेल पटरी के लिए ईंट बिछाने के लिए पर्याप्त थी।
Q.9. हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगरों के नाम लिखे।
Ans: हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगर:
- हड़प्पा
- मोहनजोदडो
- धौलविरा
- रखीगड़ी
- बनावली
Q.10. दुर्ग और निचला शहर से क्या अभिप्राय है?
Ans: दुर्ग और निचला शहर:
दुर्ग:-
- हड़प्पा सभ्यता की बस्ती दो भागों में विभाजित थी- दुर्ग और निचले शहर में।
- दुर्ग छोटा था परंतु इसे ऊंचाई पर बनाया गया था।
- दुर्ग की ऊंचाई का कारण यह था कि यहाँ की संरचनाए कच्ची ईंटों के चबूतरों पर बनी थी।
- दुर्ग को दीवारों से घेर गया था।
निचला शहर:-
- निचला शहर दुर्ग से बड़ा था परंतु इसे नीचे बनाया गया था।
- इसे भी दीवारों से घेर गया था।
हड़प्पा सभ्यता: लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर:-
Q.1. मोहनजोदड़ों से प्राप्त विशाल स्नानागार पर संक्षेप टिप्पणी दे।
Ans: हड़प्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ों से प्राप्त स्नानागार अपना विशेष महत्व रखता है। यह सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का अद्वितीय नमूना है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि यह स्नानागार धार्मिक अवसरों पर सार्वजनिक उपयोग हेतु बनाया गया था। यह स्नानागार 29 फीट लंबा, 23 फीट चौड़ा तथा 8 फीट गहरा था। विशाल स्नानागार आंगन में बना एक आयताकार जलाशय होता था जो चारों ओर से एक गलियारे से घिरा हुआ था। जलाशय के तल तक जाने के लिए इसके उत्तरी और दक्षिणी भाग में दो सीढ़ियां बनी थी। जलाशय के किनारों पर ईंटों को जमा कर तथा जिप्सम के गारो के प्रयोग से इसे जलबद्ध किया गया था। इसके तीनों ओर कक्ष बने हुए थे जिनमें से एक में बड़ा कुआं था। जलाशय में पानी एक बड़े नाले में बह जाता था इसके उत्तर में एक गली के दूसरे और एक अपेक्षाकृत छोटी संरचना थी जिसमें आठ स्नानघर बनाए गए थे इससे गलियारे के दोनों ओर चार चार स्नानघर बने थे प्रत्येक स्नान घर से नालियां गलियारों के साथ साथ बने एक नाले में मिलती थी।
Ans: हड़प्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ों से प्राप्त स्नानागार अपना विशेष महत्व रखता है। यह सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का अद्वितीय नमूना है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि यह स्नानागार धार्मिक अवसरों पर सार्वजनिक उपयोग हेतु बनाया गया था। यह स्नानागार 29 फीट लंबा, 23 फीट चौड़ा तथा 8 फीट गहरा था। विशाल स्नानागार आंगन में बना एक आयताकार जलाशय होता था जो चारों ओर से एक गलियारे से घिरा हुआ था। जलाशय के तल तक जाने के लिए इसके उत्तरी और दक्षिणी भाग में दो सीढ़ियां बनी थी। जलाशय के किनारों पर ईंटों को जमा कर तथा जिप्सम के गारो के प्रयोग से इसे जलबद्ध किया गया था। इसके तीनों ओर कक्ष बने हुए थे जिनमें से एक में बड़ा कुआं था। जलाशय में पानी एक बड़े नाले में बह जाता था इसके उत्तर में एक गली के दूसरे और एक अपेक्षाकृत छोटी संरचना थी जिसमें आठ स्नानघर बनाए गए थे इससे गलियारे के दोनों ओर चार चार स्नानघर बने थे प्रत्येक स्नान घर से नालियां गलियारों के साथ साथ बने एक नाले में मिलती थी।
Q.2. हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली का वर्णन करे।
Ans: हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली बहुत उत्तम थी विशेषकर मोहनजोदड़ो शहर की जल निकास प्रणाली बहुत ही प्रशंसनीय थी। यहां के अधिकांश भवनों में निजी कुएं व स्नानागार होते थे। भवन के कमरों, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का पानी भवन की छोटी नालियों से निकलकर गली के नाली में आता था। गली के नालियों को मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी पक्की नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य सड़क के दोनों और बनी नालियों को पत्थर एवं शिलाओ से ढका जाता था। नालियों की सफाई करने अथवा कूड़ा करकट को निकालने के लिए बीच-बीच में नरमौखे भी बनाए गए थे। नालियों की इस प्रकार की व्यवस्था किसी अन्य नगर में देखने को नहीं मिलते हैं।
Ans: हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली बहुत उत्तम थी विशेषकर मोहनजोदड़ो शहर की जल निकास प्रणाली बहुत ही प्रशंसनीय थी। यहां के अधिकांश भवनों में निजी कुएं व स्नानागार होते थे। भवन के कमरों, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का पानी भवन की छोटी नालियों से निकलकर गली के नाली में आता था। गली के नालियों को मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी पक्की नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य सड़क के दोनों और बनी नालियों को पत्थर एवं शिलाओ से ढका जाता था। नालियों की सफाई करने अथवा कूड़ा करकट को निकालने के लिए बीच-बीच में नरमौखे भी बनाए गए थे। नालियों की इस प्रकार की व्यवस्था किसी अन्य नगर में देखने को नहीं मिलते हैं।
Q.3. हड़प्पा सभ्यता के गृह स्थापत्य का संक्षिप्त वर्णन करें।
Ans: हड़प्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ो का नीचे का शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है। हड़प्पा कालीन घरों में आंगन के चारों ओर कमरे बने होते थे। संभवत आंगन खाना पकाने और कताई करने जैसी गतिविधियों का केंद्र था, खासतौर पर गर्म और शुष्क मौसम में। इन घरों में भूमि तल पर बनी दीवारों में खिड़कियां नहीं होती थी। इसके अतिरिक्त मुख्य द्वार से आंतरिक भाग का अथवा आंगन का सीधा अवलोकन नहीं होता था। हर घर का ईंटों के फर्श से बना अपना एक स्नानघर होता था, जिसकी नालियां दीवार के माध्यम से सड़क के नालियों से जुड़ी हुई थी। कुछ घरों में दूसरे तल या छत पर जाने हेतु बनाई गई सीढ़ियों के के अवशेष मिले हैं। कई आवास में कुएं थे जो अधिकांशतः एक ऐसे कक्ष में बनाए गए थे जिसमे बाहर से आया जा सकता था। संभवत इनका प्रयोग राहगीरों द्वारा किया जाता था।
Ans: हड़प्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ो का नीचे का शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है। हड़प्पा कालीन घरों में आंगन के चारों ओर कमरे बने होते थे। संभवत आंगन खाना पकाने और कताई करने जैसी गतिविधियों का केंद्र था, खासतौर पर गर्म और शुष्क मौसम में। इन घरों में भूमि तल पर बनी दीवारों में खिड़कियां नहीं होती थी। इसके अतिरिक्त मुख्य द्वार से आंतरिक भाग का अथवा आंगन का सीधा अवलोकन नहीं होता था। हर घर का ईंटों के फर्श से बना अपना एक स्नानघर होता था, जिसकी नालियां दीवार के माध्यम से सड़क के नालियों से जुड़ी हुई थी। कुछ घरों में दूसरे तल या छत पर जाने हेतु बनाई गई सीढ़ियों के के अवशेष मिले हैं। कई आवास में कुएं थे जो अधिकांशतः एक ऐसे कक्ष में बनाए गए थे जिसमे बाहर से आया जा सकता था। संभवत इनका प्रयोग राहगीरों द्वारा किया जाता था।
Q.4. हड़प्पा सभ्यता की अवतल चक्कियों का वर्णन करें।
Ans: हड़प्पा सभ्यता के स्थलों से प्राप्त पूरा वस्तुओं में अवतल चक्कियाँ भी प्राप्त हुई है। यह चक्कियाँ कठोर, पथरीली,आग्नेय अथवा बलुआ पत्थरों से बनी थी। इन चक्कियों के अधिक प्रयोग के संकेत मिलते हैं क्योंकि अनाज पीसने की एकमात्र साधन थी इन चक्कियों का तल उत्तल है इस कारण प्रतीत होता है कि इन्हें मिट्टी में जमा कर रखा जाता होगा ताकि यह हिल ना सके। यह चकिया दो प्रकार की मिली है एक में ऊपर वाला छोटा पत्थर नीचे वाले बड़े पत्थर पर आगे पीछे चलाया जाता था तथा दूसरे प्रकार की चक्कियों में वे चकिया आती है जिनमें ऊपर वाला पत्थर से नीचे वाले पत्थर पर जड़ी-बूटी तथा मसालों को कूटा जाता था।
Ans: हड़प्पा सभ्यता के स्थलों से प्राप्त पूरा वस्तुओं में अवतल चक्कियाँ भी प्राप्त हुई है। यह चक्कियाँ कठोर, पथरीली,आग्नेय अथवा बलुआ पत्थरों से बनी थी। इन चक्कियों के अधिक प्रयोग के संकेत मिलते हैं क्योंकि अनाज पीसने की एकमात्र साधन थी इन चक्कियों का तल उत्तल है इस कारण प्रतीत होता है कि इन्हें मिट्टी में जमा कर रखा जाता होगा ताकि यह हिल ना सके। यह चकिया दो प्रकार की मिली है एक में ऊपर वाला छोटा पत्थर नीचे वाले बड़े पत्थर पर आगे पीछे चलाया जाता था तथा दूसरे प्रकार की चक्कियों में वे चकिया आती है जिनमें ऊपर वाला पत्थर से नीचे वाले पत्थर पर जड़ी-बूटी तथा मसालों को कूटा जाता था।
Q.5. सिंधु घाटी सभ्यता की कृषि प्रोद्योगिकी का वर्णन करें।
Ans: हड़प्पा सभ्यता की कृषि प्रौद्योगिकी निम्नलिखित है:-
Ans: हड़प्पा सभ्यता की कृषि प्रौद्योगिकी निम्नलिखित है:-
- हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। यहां की कई स्थलों से अनाज के दाने प्राप्त हुए हैं इससे कृषि का संकेत मिलता है।
- हड़प्पा सभ्यता के मुहरों पर वृषभ और बैल के चित्र तथा मूर्तियां मिलना इस बात का संकेत है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग खेतों की जुताई में बैलगाड़ी एवं पशुओं का प्रयोग करते थे।
- हड़पपाई लोग खेतो की जुताई के लिए हल का प्रयोग करते थे। बनावली से मिट्टी के हल तथा कालीबंगा से जूते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं।
- हड़प्पा वासी फसलों की कटाई के लिए लकड़ी के हत्थों में बिठाए गए पत्थर के फलक या धातु के औजार का प्रयोग करते थे।
- सिंचाई के लिए कुवों एवं नहरों का प्रयोग किया जाता था।
Q.6.हड़प्पा की लिपि एक रहस्यमयी लिपि थी। विवेचना करें।
Ans: सामान्यता हड़प्पा ई मुहावरों पर एक पंक्ति में कुछ लिखा है जो संभवत मालिक के नाम तथा उसके पदवी को दर्शाता है। विद्वानों का तर्क है कि इन पर बना चित्र अनपढ़ लोगों को सांकेतिक रूप से उसका अर्थ बताता है। अधिकांश अभिलेख संक्षिप्त है। सबसे लंबे अभिलेख में लगभग 6 चिन्ह हैं हालांकि अभी तक इस लिपि को पढ़ी नहीं जा सकी है यह एक रहस्यमई लिपि है। इसके चिन्हों से प्रतीत होता है कि यह वर्णमालीय नहीं थी क्योंकि इनमें चिन्हों की संख्या अधिक है यह लगभग 375 से 400 के बीच है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह लिपि दाई से बाई ओर लिखी जाती थी क्योंकि कुछ मुहरों में दाएं ओर चौड़ा अंतराल है और बाई ओर यह संकुचित है जिससे प्रतीत होता है कि उत्कीर्णन ने दाई ओर से बाई ओर लिखना आरंभ किया होगा और बाद में बाई और स्थान का पड़ गया। विभिन्न प्रकार के वस्तुओं में भी लिखावट मिली है जिसमें मोहरे, तांबे की औजार, विभिन्न बर्तनों, तांबे तथा मिट्टी के लघुपट्टिकाएं, आभूषण, और कुछ प्राचीन सूचना पट्ट शामिल है।
Ans: सामान्यता हड़प्पा ई मुहावरों पर एक पंक्ति में कुछ लिखा है जो संभवत मालिक के नाम तथा उसके पदवी को दर्शाता है। विद्वानों का तर्क है कि इन पर बना चित्र अनपढ़ लोगों को सांकेतिक रूप से उसका अर्थ बताता है। अधिकांश अभिलेख संक्षिप्त है। सबसे लंबे अभिलेख में लगभग 6 चिन्ह हैं हालांकि अभी तक इस लिपि को पढ़ी नहीं जा सकी है यह एक रहस्यमई लिपि है। इसके चिन्हों से प्रतीत होता है कि यह वर्णमालीय नहीं थी क्योंकि इनमें चिन्हों की संख्या अधिक है यह लगभग 375 से 400 के बीच है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह लिपि दाई से बाई ओर लिखी जाती थी क्योंकि कुछ मुहरों में दाएं ओर चौड़ा अंतराल है और बाई ओर यह संकुचित है जिससे प्रतीत होता है कि उत्कीर्णन ने दाई ओर से बाई ओर लिखना आरंभ किया होगा और बाद में बाई और स्थान का पड़ गया। विभिन्न प्रकार के वस्तुओं में भी लिखावट मिली है जिसमें मोहरे, तांबे की औजार, विभिन्न बर्तनों, तांबे तथा मिट्टी के लघुपट्टिकाएं, आभूषण, और कुछ प्राचीन सूचना पट्ट शामिल है।
हड़प्पा सभ्यता: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर:-
Q.1. सिंधु घाटी सभ्यता में प्रचलित धार्मिक अनुष्ठानों के संकेत पर प्रकाश डालें।
Ans: हड़प्पा सभ्यता की धार्मिक स्वरूप के बारे में कोई लिखित प्रमाण नहीं मिला है। इनके धार्मिक रीति-रिवाजों का अनुमान उनकी कुछ मूर्तियों, बर्तनों, ताम पत्रों के चित्रों से मिलता है। मात्र देवी की अनेक मूर्तियां मिली है जिससे पता चलता है कि मातृ देवी ही उनकी पूज्य देवी थी। एक मूर्ति ऐसी मिली है जो बिल्कुल नग्न है तथा हाथ में कटार और गले में मुंडो की माला है इससे पता चलता है कि वह लोग देवी-देवताओं को खुश करने के लिए बलि भी देते थे। हड़प्पा सभ्यता से कोई भी मंदिर का साक्ष्य नहीं मिला है और ना ही भवन कि कोई ऐसी संरचना मिली है जिसे मंदिर की संज्ञा दी जा सके। मोहनजोदड़ो से इनके एक देवता का चित्र मिली है जो कि आज के शिव देवता से मिलती जुलती है। संभवत यह लोग वृक्ष, सांप, और पत्थरों की भी पूजा करते थे।
पशुओं में कूबड़ वाला सांड विशेष पूजनीय था। बड़ी संख्या में ताबीज प्राप्त हुए हैं जिससे प्रतीत होता है कि यह लोग भूत-प्रेत अथवा जादू टोना में भी विश्वास रखते थे। मोहनजोदड़ो में वामवर्ती और दक्षिणवर्ती दोनों ही प्रकार के स्वास्तिक चिन्ह पर्याप्त मात्रा में मिले हैं। इसका संबंध सूर्य पूजा से हो सकता है। कालीबंगा और लोथल से ईटों की बनी वेदी मिली है जो अग्नि पूजा के साक्ष्य हैं। विद्वानों के अनुसार मृत शरीर के अंतिम और दाह संस्कार दोनों परंपरा प्रचलित थी।
Ans: हड़प्पा सभ्यता की धार्मिक स्वरूप के बारे में कोई लिखित प्रमाण नहीं मिला है। इनके धार्मिक रीति-रिवाजों का अनुमान उनकी कुछ मूर्तियों, बर्तनों, ताम पत्रों के चित्रों से मिलता है। मात्र देवी की अनेक मूर्तियां मिली है जिससे पता चलता है कि मातृ देवी ही उनकी पूज्य देवी थी। एक मूर्ति ऐसी मिली है जो बिल्कुल नग्न है तथा हाथ में कटार और गले में मुंडो की माला है इससे पता चलता है कि वह लोग देवी-देवताओं को खुश करने के लिए बलि भी देते थे। हड़प्पा सभ्यता से कोई भी मंदिर का साक्ष्य नहीं मिला है और ना ही भवन कि कोई ऐसी संरचना मिली है जिसे मंदिर की संज्ञा दी जा सके। मोहनजोदड़ो से इनके एक देवता का चित्र मिली है जो कि आज के शिव देवता से मिलती जुलती है। संभवत यह लोग वृक्ष, सांप, और पत्थरों की भी पूजा करते थे।
पशुओं में कूबड़ वाला सांड विशेष पूजनीय था। बड़ी संख्या में ताबीज प्राप्त हुए हैं जिससे प्रतीत होता है कि यह लोग भूत-प्रेत अथवा जादू टोना में भी विश्वास रखते थे। मोहनजोदड़ो में वामवर्ती और दक्षिणवर्ती दोनों ही प्रकार के स्वास्तिक चिन्ह पर्याप्त मात्रा में मिले हैं। इसका संबंध सूर्य पूजा से हो सकता है। कालीबंगा और लोथल से ईटों की बनी वेदी मिली है जो अग्नि पूजा के साक्ष्य हैं। विद्वानों के अनुसार मृत शरीर के अंतिम और दाह संस्कार दोनों परंपरा प्रचलित थी।
Q.2. सिंधु सभ्यता के नागर नियोजन का उल्लेख करें।
Ans: हड़प्पा सभ्यता की एक अनूठी पहले यहां की नगर नियोजन थी। हड़प्पा वासी एक शहरी जीवन व्यतीत करते थे इनके नगर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नगर के लिए योजना बनाई गई होगी फिर नगर का निर्माण किया गया होगा। हड़प्पा नगर की बहुत सी विशेषताएं हैं जिनमें से कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है:-
Ans: हड़प्पा सभ्यता की एक अनूठी पहले यहां की नगर नियोजन थी। हड़प्पा वासी एक शहरी जीवन व्यतीत करते थे इनके नगर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नगर के लिए योजना बनाई गई होगी फिर नगर का निर्माण किया गया होगा। हड़प्पा नगर की बहुत सी विशेषताएं हैं जिनमें से कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है:-
- हड़प्पा सभ्यता की नगरें सुव्यवस्थित थी और इनका निर्माण एक वैज्ञानिक पद्धति से किया गया था। सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मोहनजोदड़ो था इसे बाहरी आक्रमण से बचाने के लिए इसके चारों ओर से दीवारों का निर्माण कराकर इसे सुरक्षित किया गया था। इसी प्रकार की व्यवस्था हड़प्पा में भी देखने को मिलती है।
- हड़प्पा सभ्यता की सड़कें मिट्टी की थी लेकिन यह समतल एवं सीधी थी वहां की सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी इन सड़कों के दोनों ओर भवनों का निर्माण किया गया था।
- नगरों की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता था। घरों के गंदे पानी को गली के नाली तक सुव्यवस्थित तरीके से लाया जाता था तथा गली का नाली सड़क के किनारे बने मुख्य नाली से मिलती थी, मुख्य नाली के रास्ते गंदे पानी को शहर से बाहर निकाला जाता था।
- सड़क के किनारे कूड़ेदान रखे जाते हैं तथा एक अंतराल में गड्ढे बनाए गए थे ताकि शहर की सफाई का व्यवस्थित रहें।
- मोहनजोदड़ो में सार्वजनिक प्रयोग के लिए विशाल मालगोदाम और एक विशाल स्नानागार भी प्राप्त हुआ है।
Q.3. हड़प्पा सभ्यता के सामाजिक जीवन का वर्णन करे।
Ans: हड़प्पा सभ्यता में समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार थी। उनका जीवन सुविधापूर्ण एवं सुखी था। उत्खनन से बड़ी मात्रा में नारी रूपी मूर्तियां मिली हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि हड़प्पा वासियों का परिवार मातृसत्तात्मक परिवार था। हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं निम्नलिखित है:
Ans: हड़प्पा सभ्यता में समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार थी। उनका जीवन सुविधापूर्ण एवं सुखी था। उत्खनन से बड़ी मात्रा में नारी रूपी मूर्तियां मिली हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि हड़प्पा वासियों का परिवार मातृसत्तात्मक परिवार था। हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं निम्नलिखित है:
- खुदाई से सुईयो के अवशेष मिले हैं जिससे प्रतीत होता है कि यह लोग सिले हुए वस्त्र पहनते थे।
- केश विन्यास भी प्रचलित था, स्त्रियां जुड़ा बांधति थी तथा पुरुष लंबे- लंबे बाल एवं दाढ़ी मूछें रखा करते थे।
- इस सभ्यता के लोग आभूषण के शौकीन थे। विविध प्रकार के आभूषण जैसे कंठहार, कर्णफूल, हंसूली भुजाबंध, कड़ा, अंगूठी और करघनी आदि पहने जाते थे।
- इस सभ्यता के लोग श्रृंगार के भी शौकीन थे। मोहनजोदड़ो की नारियां काजल, पाउडर आदि से परिचित थे। शीशे एवं तांबे के दर्पण का प्रयोग भी होता था। चन्हूदरो से लिपस्टिक के भी साक्ष्य मिले हैं।
- आभूषणों का निर्माण बहुमूल्य पत्थरों, हाथी दांत, एवं शंख से किया जाता था। हड़प्पा वासी शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन करते थे। अनाज के लिए खेती तथा मांस के लिए शिकार किया करते थे अथवा अन्य आखेटक समुदाय से भी उन्हें मांस प्राप्त हो जाता था।
- हड़प्पा सभ्यता के लोग मिट्टी एवं धातु से बने तरह-तरह के बर्तनों का प्रयोग करते थे।
- फर्श पर बैठने के लिए चटाई के साथ-साथ तथा चारपाई से भी वे लोग परिचित थे।
- सिंधु सभ्यता के लोग आमोद प्रमोद से भी वाकिफ थे। पासा इस काल का प्रमुख खेल माना जाता है। बच्चों के खेलने के लिए मिट्टी के बने कई प्रकार के खिलौने के भी साक्ष्य मिले हैं। इस सभ्यता से प्राप्त नर्तकी की मूर्ति से यह संकेत मिलता है कि के लोग नृत्य का भी शौकीन थे और नृत्य मनोरंजन का साधन रहा होगा। इस सभ्यता के लोग गाने बजाने के भी शौकीन प्रतीत होते हैं।
- मछली फंसाने के कांटे एवं एक मुहर पर तीर से हिरण को मारते हुए दर्शाया गया है जिससे हमें यह संकेत मिलता है कि हड़प्पा वासी शिकार के भी शौकीन रहे होंगे।
Q.4. हड़प्पा वासियों के पश्चिमी एशिया के साथ व्यापारिक संबंधों का वर्णन करे।
Ans: सिंधु सभ्यता के लोगों के जीवन में व्यापार का बहुत महत्व था। वाणिज्य एवं व्यापार आजीविका के महत्वपूर्ण साधन थे। यहां आंतरिक एवं वैदेशीक व्यापार दोनों ही काफी उन्नत अवस्था में थे। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र थे। पश्चिम एशिया के साथ हड़प्पा के लोगों के व्यापारिक संबंध के अनेक प्रमाण मिले हैं। निम्न बिंदुओं के अध्ययन से हम हड़प्पा वासियों के पश्चिमी एशिया के साथ व्यापारिक संबंध को अच्छे से समझ सकेंगे:-
Ans: सिंधु सभ्यता के लोगों के जीवन में व्यापार का बहुत महत्व था। वाणिज्य एवं व्यापार आजीविका के महत्वपूर्ण साधन थे। यहां आंतरिक एवं वैदेशीक व्यापार दोनों ही काफी उन्नत अवस्था में थे। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र थे। पश्चिम एशिया के साथ हड़प्पा के लोगों के व्यापारिक संबंध के अनेक प्रमाण मिले हैं। निम्न बिंदुओं के अध्ययन से हम हड़प्पा वासियों के पश्चिमी एशिया के साथ व्यापारिक संबंध को अच्छे से समझ सकेंगे:-
- पश्चिम एशिया के साथ हड़प्पा के लोग का व्यापार जल और स्थल दोनों ही मार्गो से होता था।
- हड़प्पा वासी तांबा ओमान से आयात करते थे।
- ओमान में हड़प्पा का बना एक जार भी मिला है।
- हड़प्पा के लोग अपने शिल्प कार्यों के लिए ईरान एवं बलूचिस्तान से चांदी मँगवाते थे।
- ईरान एवं अफगानिस्तान से शीशा का आयात करते थे।
- पश्चिम एशिया में कई स्थानों से हड़प्पाई बाट मुहर आदि प्राप्त हुए हैं।
- मेसोपोटामिया से प्राप्त कई प्रलेखों में सिंध और क्षेत्र से आयात होने वाली अनेक वस्तुएं जैसे लाजवर्द मनी, तांबा, सोना, आदि की चर्चा की है।
- हड़प्पा से जो मुहरे प्राप्त हुई है उनमे जहाजों एवं नाव के चित्र मिले हैं जो उ \नेक समुद्र के रास्ते विदेशी व्यापार की जानकारी देते हैं।
Q.5. हड़प्पा सभ्यता के पतन के कुछ प्रमुख कारणों का वर्णन करें।
Ans: हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों को लेकर विभिन्न विद्वानों में मतभेद है। विभिन्न- विभिन्न विद्वानों के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के पतन के विभिन्न- विभिन्न कारण है। इन सभी कारणों को नीचे विस्तार से समझाया गया है:-
- बाढ़:- मार्शल, मेके, तथा एसआर राव आदि के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के पतन का एकमात्र कारण नदी का बाढ़ था क्योंकि अधिकांश नगर नदी के तट पर बसे हुए थे जहां प्रतिवर्ष बाढ़ आदि रहती थी। मोहनजोदड़ो, चन्हूदरो एवं लोथल आदि से बाढ़ के साक्ष्य मिले हैं।
- बाहरी आक्रमण:- मार्टीमर व्हीलर, गार्डन चाइल्ड, पिगट आदि के अनुसार इस सभ्यता के पतन का एकमात्र कारण बाढ़ नहीं था क्योंकि इस सभ्यता के सभी शहर नदी के तट पर नहीं बसे थे। उनके अनुसार हड़प्पा सभ्यता का पतन का कारण बाहरी आक्रमण था। उनके अनुसार 1500 में आर्यों ने हड़प्पा सभ्यता पर आक्रमण कर इस सभ्यता का अंत किया होगा।
- जलवायु परिवर्तन:- कुछ विद्वानों के अनुसार इस सभ्यता का पतन का कारण जलवायु परिवर्तन है उनके अनुसार उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन हुआ होगा जिसे लोग सहन नहीं कर पाए और उनकी मृत्यु हो गई जिससे इस सभ्यता का विनाश हुआ।
- नदियों का मार्ग परिवर्तन:- माधव स्वरूप वक्त के अनुसार नदियों के मार्ग में हुआ परिवर्तन इस सभ्यता के पतन का कारण है। उनका मानना है कि उस समय नदियों के मार्ग में परिवर्तन होने के कारण इस सभ्यता के लोगों को पानी की कमी हुई होगी। पानी का स्रोत खत्म हो गया होगा और उन्हें पीने तक को पानी नहीं मिला होगा जिससे इस सभ्यता का अंत हुआ होगा।
- महामारी:- कुछ पुरातत्वविदो का मानना है कि उस समय कोई बीमारी महामारी फैली होगी जिसका इस सभ्यता के लोगों सामना नहीं कर पाए और ना ही उस समय महामारी का उचित इलाज मिला होगा।
- सूखा:- कुछ विद्वानों का मानना है कि इस सभ्यता के पतन का कारण सूखा था। उनके अनुसार उस काल में कुछ वर्षों तक वर्षा नहीं हो पाई होगी जिससे धरती पर सूखा छा गया होगा और हड़प्पा वासीयों को पीने तक का पानी भी नसीब नहीं हुआ होगा जिस कारण वे मृत्यु को प्राप्त हुए और इस सभ्यता का अंत हो गया।
- भूकंप:- कुछ पुरातत्वविदों के मतानुसार हड़प्पा सभ्यता का एकमात्र कारण भूकंप था।
अतः यह कहा जा सकता है कि उपर्युक्त सभी कारणों से इस सभ्यता का पतन हुआ होगा।
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