दो ध्रुवीयता का अंत ( The End of Bipolarity)| Class 12| Chapter 2| Political Science


दो ध्रुवीयता का अंत


 दो ध्रुवीयता का अंत: इस पाठ में आप कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक ( समकालीन विश्व राजनीति) की दूसरी अध्याय दो ध्रुवीयता का अंत के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर पढ़ेंगे। पिछले अध्याय में हमने शीतयुद्ध का दौर एवं शीतयुद्ध की समाप्ति पढ़ा था।। इस अध्याय में शीतयुद्ध में पश्चात उभरे दो महाशक्तियों में से एक के पतन के संबंध में जानकारी दी गई है। ये सभी प्रश्न उत्तर  झारखंड बॉर्ड के कक्षा 12 की वार्षिक परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है। 

दो ध्रुवीयता का अंत 1 अंक स्तरीय प्रश्न उत्तर 

Q.1. बर्लिन की दीवार कब बनाई गई थी? 
Ans: 1961

Q.2. बर्लिन की दीवार कब गिराई गई थी? 
Ans: 9 नवंबर 1989

Q.3. शीतयुद्ध की समाप्ति कब हुई? 
Ans: 1991

Q.4. रूसी क्रांति कब हुई?
Ans: 1917

Q.5. रूसी क्रांति के जनक कौन थे? 
Ans: व्लादिमीर लेनिन

Q.6. सोवियत संघ कितने गणराज्यों का संघ था? 
Ans: 15

Q.7. सोवियत संघ का विघटन कब हुआ?
Ans: 1991

Q.8. विश्वव राजनीतित के दो ध्रुव कौन कौन थे? 
Ans: अमेरिका और सोवियत संघ 

Q.9. बर्लिन की दीवार का निर्माण किसका प्रतीक था? 
Ans: शीतयुद्ध की चरमोत्कर्ष का 

Q.10. शॉक थेरेपी का मॉडल किसपर लागू किया गया था? 
Ans: साम्यवादी देशों पर 

दो ध्रुवीयता का अंत लघु उत्तरीय प्रश्न 

Q.1. सोवियत प्रणाली क्या थी?
Ans: सोवियत प्रणाली सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था को सुचारु रुप से चलाने के लिए लाई गई थी। यह प्रणाली समाजवाद के आदर्शों व समानता आधारित समाज की आवश्यकताओ से उत्प्रेरित थी। सोवियत प्रणाली के संस्थापकों ने राज्य व पार्टी की संस्था को उत्प्रेरित करने का काम किया। इसकी अर्थव्यवस्था योजनाबद्ध और राज्य के नियंत्रण में रहती थी। अतः इस प्रणाली में कम्युनिस्ट दल के सिवा किसी दूसरे राजनीतिक दल के लिए कोई स्थान नहीं था। सोवियत प्रणाली पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की विरोधी थी। इस प्रणाली में उत्पादन के सभी साधनों पर राज्य का पूर्ण स्वामित्व था। 

Q.2. शॉक थेरेपी क्या थी? 
Ans: शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ होता है "आघात पहुंचाकर उपचार करना"। यह साम्यवाद से पूंजीवाद की और संक्रमण का एक मॉडल था जिसे सोवियत संघ के विघटन के पश्चात रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों में लागू किया गया था। इस मॉडल को विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा शॉक थेरेपी का नाम दिया गया था। इस थेरेपी के अंतर्गत सामूहिक फार्म के स्थान पर निजी फार्म को अपनाया गया। इसमे पूंजीवादी पद्धति के अंतर्गत कृषि प्रारंभ की गई। शॉक थेरेपी की अवधारणा थी की अधिकाधिक व्यापारिक गतिविधियां बढ़ाकर ही उन्नती की जा सकती है इसलिए इसमे 'मुक्त व्यापार' को अपनाया गया। 

Q.3. दूसरी दुनिया से क्या अभिप्राय है? 
Ans: शीतयुद्ध के दौरान दुनिया दो खेमों में बँट गई थी- संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ। 
सोवियत संघ के खेमे को दूसरी दुनिया कहा जाता है। पहली दुनिया शब्द का प्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका के खेमे को इंगित करने के लिए किया जाता है। 
सोवियत संघ साम्यवादी विचारधारा से प्रभावित था। 

Q.4. पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्त क्या है? 
Ans: 
 पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्त ये दोनों ही विकास की दो नीतियाँ थी जिसे 1980 के दशक में सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल गोरबाचेव ने सोवियत संघ के विकास के लिए लाया था परंतु ये विकास की नीतियाँ ही सोवियत संघ के पतन का कारण बनी। 
 पेरेस्त्रोइका का शाब्दिक अर्थ 'पुनर्गठन या पुनर्रचना' होता है तथा ग्लासनोस्त का शाब्दिक अर्थ 'व्यक्ति को राजनीतिक क्षेत्र में पूर्ण रूप से स्वतंत्रता देना' होता है। 

Q.5. शॉक थेरेपी क्या थी? क्या यह साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर संक्रमण का सबसे बेहतर तरीका था? 
Ans: शॉक थेरेपी साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर संक्रमण का एक मॉडल थी। शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ होता है 'आघात पहुंचाकर उपचार करना'। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक ने इसे शॉक थेरेपी का नाम दिया। 
शॉक थेरेपी साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर संक्रमण का एक अच्छा तरीका था। साम्यवाद के पतन के बाद सोवियत संघ के गणराज्यों को पूंजीवाद की तरफ मोड़ने का अच्छा तरीका समझ गया। रूस, मध्य एशिया के गणराज्यों और पूर्वी यूरोप के देशों में पूंजीवाद की तरफ संक्रमण का यह सशक्त तरीका था। इसके अंतर्गत राज्य की संपदा के निजीकरण और व्यावसायिक स्वामित्व के ढांचे को फौरन लागू करने की बात की गई। 

Q.6. शॉक थेरेपी के क्या परिणाम हुए? 
Ans: शॉक थेरेपी साम्यवाद से पूंजीवाद की और संक्रमण का एक मॉडल था। इसे विश्व बैंक और अन्तराष्ट्रिय मुद्रा कोष द्वारा शॉक थेरेपी का नाम दिया गया था। शॉक थेरेपी के परिणाम निम्नलिखित है: 
1. शॉक थेरेपी से सम्पूर्ण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था चरमरा गई। इस क्षेत्र की जनता को भारी क्षति का सामना करना पड़ा।
2. 1990 में नियमित की गई शॉक थेरेपी ने जनता के उन स्वपनों को बिल्कुल भी साकार नहीं किया जिसका उसने वादा किया था। 
3. शॉक थेरेपी के कारण लगभग 90% उद्योगों को निजी हाथों में जाने को विवश होना पड़ा। इसे इतिहास की सबसे बड़ी 'गराज सेल' कहा जाता है क्युकी इसके अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण उद्योगों का मूल्य काम से कमतर आँका गया था। 
4. रूसी मुद्रा रूबल के दामों में गिरावट आई। 
5. बहुत से राष्ट्रों में एक 'माफिया वर्ग' का उदय हो गया। यही माफिया वर्ग अधिकतर आर्थिक क्रियाओ को नियंत्रित करता था। 
6. रूस में लगभग डेढ़ हजार बैंक और वित्तीय संस्थान थे जिनमे से लगभग आधे 'शॉक थेरेपी' के अंतर्गत दिवालिया हो गए। 

दो ध्रुवीयता का अंत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

Q.1. भारत और सोवियत संघ के संबंध की व्याख्या करे। 
Ans: शीतयुद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के मध्य बहुत गहरे संबंध थे। बहुत से आलोचकों ने इन संबंधों को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगाए की भारत भी सोवियत समूह का भाग है किन्तु इन सब आरोपों से दूर भारत और सोवियत संघ के रिश्ते बहुआयामी व बहुमुखी थे। इनमे से कुछ निम्न है:
  1. आर्थिक संबंध :
    भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में सोवियत संघ ने ऐसे समय में सहायता प्रदान की जब इस प्रकार की मदद के बारे में सोचना भी कठिन था। सोवियत संघ द्वारा बोकारो, भिलाई एवं विशाखापटनम के इस्पात कारखानों एवं भारत हेवी इलेक्ट्रॉनिक्स आदि मसिनरी संयंत्रों हेतु आर्थिक व तकनीकी सहायता प्रदान की गई।भारत जब विदेशी मुद्रा की कमी का सामना कर रहा था तो सोवियत संघ द्वारा रुपए को माध्यम बनाकर भारत के साथ व्यापार जारी रखा। 
  2. राजनीतिक संबंध : 
    संयुक्त राष्ट्र संघ में सोवियत संघ द्वारा कश्मीर के विषय में भारत के दृष्टिकोण का समर्थन किया। 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के समय सोवियत संघ ने भारत के इस संघर्ष में पूर्णतया सहायता प्रदान की । भारत द्वारा भी सोवियत संघ की विदेश नीति का समर्थन किया। 
  3. सैन्य संबंध : 
    सोवियत संघ ने जिन परिस्थितियों में भारत की सहायता सैन्य उपकरणों द्वारा की, वैसी परिस्थितियों में अन्य कोई देश अपनी सैन्य तकनीक भारत को देने को तत्पर नहीं थी। भारत के साथ मिलकर सोवियत संघ ने अनेक ऐसे समझोते किए, जिनके कारण भारत संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण निर्मित करने में सक्षम हो सका। 
  4. सांस्कृतिक संबंध : 
    सोवियत संघ में भारतीय संस्कृति व हिन्दी सिनेमा को लोकप्रियता प्राप्त है। बड़े स्तर पर भारतीय लेखक व कलाकारों ने सोवियत संघ की यात्रा निर्विघ्न की। 

Q.2. सोवियत संघ के विघटन के क्या कारण थे?
Ans: सोवियत संघ का विघटन 25 दिसंबर1991 में हुआ था। इसके विघटन के बहुत से कारण थे जिनमे से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित है: 
  1. सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी का दबाव : 
    कम्युनिस्ट पार्टी ने सोवियत संघ में 70 सालों तक शासन किया परंतु फिर भी वह जनता के प्रति अपनी उत्तरदायी परिस्थितियों को नकारने लगी थी। इस दौरान सोवियत संघ प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से बाधित हो गया था। 
  2. मिखाइल गोर्बाच्योव की नीतियाँ : 
    1980 के दशक में सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाइल  गोर्बाच्योव ने विकास की दो नीतियाँ लाई थी जिसका विपरीत प्रभाव पड़ा। ये दो नीतियाँ थी - पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्त। सोवियत संघ के विघटन में इन दो नीतियों की अहम भूमिका रही है। 
  3. संसाधनों का दुरुपयोग : 
    सोवियत संघ एक साधन सम्पन्न देश थी जहां सुई से लेकर कर तक की उत्पादन देश के अंदर ही होती थी परंतु सोवियत संघ ने हथियारों के निर्माण की होड़ में आकार अपने अधिकांश संसाधनों का प्रयोग परमाणु शस्त्र व सैन्य उपकरण बनाने में खर्च करने लगा जिससे उपभोक्ता वस्तुओ के उत्पादन में कमी आ गई और जनता विरोध प्रदर्शन करने लगी। 
     
  4. नागरिकों की असंतुष्टि : 
    सोवियत जनता अपनी सरकार से असन्तुष्ट थी। वर्षों से जनता में प्रचार किया गया था कि सोवियत राज व्यवस्था पूंजीवादी से श्रेष्ठ है किन्तु यह सत्य नहीं था। सोवियत संघ इस दौड़ में पिछड़ने लगा था। जनता को अपनी इस निम्न अवस्था के अनुभव ने राजनीतिक - मनोवैज्ञानिक रूप से गहरा आघात पहुंचाया। 
  5. रूस के प्रति सोवियत सरकार का अधिक झुकाव : 
    सोवियत संघ 15 गणराज्यों को मिलाकर बनाया गया था परंतु सोवियत सरकार का अधिक झुकाव रूस के प्रति होता था जिस कारण बाकी के अन्य जनराज्यों को महसूस हुआ की सोवियत सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही है। 

Q.3. सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए? 
Ans:   सोवियत संघ का विघटन 25 दिसंबर 1991 में हुआ था। इसके विघटन के मुख्यतः तीन परिणाम हुए जो निम्नलिखित है:
  1.  शीतयुद्ध की समाप्ति :
    सोवियत संघ या दूसरी दुनिया के विघटन के फलस्वरूप जो परिणाम सामने आए उनमे से पहला था शीतयुद्ध काल में हुए संघर्ष की समाप्ति। सोवियत संघ के विघटन के पहले दोनों महाशक्तियों के बीच हथियारों की होड़ मची हुई थी। दोनों ही महाशक्तियाँ एक दूसरे को को नीचा दिखाने व अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए नई नई हथियारों का उपयोग का कर रहे थे। पूरी दुनिया में शीतयुद्ध के कारण अशान्ति फैली हुई थी। लोगों के मन में तृतीय विश्वयुद्ध होने का भय था परंतु सोवियत संघ के विघटन के बाद शीतयुद्ध की समाप्ति हुई, संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व में एकमात्र महाशक्ति बनकर सामने आया और दुनिया तृतीय विश्वयुद्ध से बच गई। 
  2. विश्व स्तर पर अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बनकर उभरा : 
    शीतयुद्ध के अंतिम वर्षों में दो संभावनए समक्ष थी कि या तो एक ध्रुवीय विश्व निर्मित होगा या बहुध्रुवीय विश्व निर्मित होगा जहां किसी एक महाशक्ति का प्रभाव नहीं होगा। सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व स्तर पर संयुक्त राज्य अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बनकर उभरा। 
  3. 15 नए देश अस्तित्व में आए : 
    सोवियत संघ के विघटन का एक परिणाम यह हुआ कि 15 नए देश अस्तित्व में आए। सोवियत संघ 15 गणराज्यों का एक संघ था, 1991 में जब इसका विघटन हुआ तब ये सभी गणराज्य बिखर कर अलग अलग देश बन गए। रूस सोवियत संघ का उत्तराधिकारी बना। 

Q.4. किन बातों के कारण गोरबाचेव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए? 
Ans: सोवियत संघ में सुधार लाने के लिए मिखाइल गोरबाचेव बाधित हुए क्योंकि सोवियत संघ में बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हो गई थी। वे बातें जिसने मिखाइल गोरबाचेव को सोवियत संघ में सुधार लाने के लिए बाध्य किया, वे निम्नलिखित है:
  1. सोवियत संघ केवल एक दल ( कम्युनिस्ट पार्टी ) के प्रभुत्व में आ गया था। कम्युनिस्ट पार्टी ने सोवियत सोवियत संघ में 70 सालों तक शासन किया पर यह पार्टी जनता के प्रति जवाबदेह नहीं थी। 
  2. सोवियत संघ में 15 गणराज्यों थे जिनमे से रूस भी एक था परंतु सभी क्षेत्रों में रूस का प्रभुत्व होता था। 
  3. सोवियत प्रणाली सत्तावदी हो गई थी क्योंकि इस प्रणाली में नौकरशाही का नियंत्रण बहुत ज्यादा था। इसके कारण लिकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त हो गई थी तथा लोग शासन से असन्तुष्ट रहने लगे थे। 
  4. सोवियत संघ में आर्थिक संकट आ गया था। वहाँ खाद्यान में कमी आ गई थी क्योंकि USA के साथ हथियार होड़ में सोवियत संघ ने भी अपने संसाधनों के अधिकांश भाग का प्रयोग हथियारों के उत्पादन में लगा दिया जिससे उपभोक्ता वस्तु के उत्पादन में कमी आई और खाद्यान में कमी आ गई। 

Q.5. भारत जैसे देश के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए? 
Ans: यद्यपि भारत दोनों महाशक्तियों- USA (संयुक्त राज्य अमेरिका) और USSR ( सोवियत संघ) से अच्छा तालमेल रखता था तथा दोनों के साथ भारत के अच्छे संबंध थे परंतु भारत सोवियत संघ के ज्यादा करीब था क्योंकि सोवियत संघ ने भारत की ऐसे समय में मदद की थी जब कोई भी देश भारत की मदद करने को तैयार नही था। इस स्थिति में सोवियत संघ के विघटन से भारत पर बहुत से प्रभाव पड़े। भारत जैसे देश के लिए सोवियत संघ के विघटन से निम्नलिखित परिणाम हुए: 
  1. सोवियत संघ के विघटन से संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व की एक मात्र महाशक्ति बनकर उभरा। यह भारत की राजनीति को भी प्रभावित कर रहा है। 
  2. सोवियत संघ से विघटन से शीतयुद्ध की समाप्ति हुई और विश्व में शांति स्थतपित हुई। इस शांति का भारत को भी लाभ मिला। परमाणु हथियारों का संचयन बंद हुआ। 
  3. अमेरिका अन्य देशों की तरह भारत की भी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। भारत द्वारा परमाणु परीक्षण के समय आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रहा था। 
  4. अमेरिका ने धन देकर पड़ोसी देश पाकिस्तान को भारत के खिलाफ भड़काने का काम किया है। 
  5. अमेरिका भारत पर अपनी मनमानी चला रहा है। वह आए दिन अपनी कुछ शर्तों को मानने पर विवश करता है। 
 


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